Vat Savitri Ki Aarti in Hindi: वट सावित्री व्रत की आरती

वट सावित्री व्रत हर साल ज्‍येष्‍ठ मास की अमावस्‍या को महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए करती हैं और सजसंवरकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं। मान्‍यता है वट वृक्ष के नीचे साव‍ित्री और सत्‍यवान की कथा करते हुए पूजा करने से आपको श्रेष्‍ठ फल की प्राप्ति होती है और आपको अखंड सौभाग्‍यवती बने रहने का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है। पूजा के समापन से पहले वट सावित्री की आरती करना भी अनिवार्य है। आइए जानते हैं यह आरती।

आरती वट सावित्री और वट वट वृक्ष की।
अश्वपती पुसता झाला।। नारद सागंताती तयाला।।
अल्पायुषी सत्यवंत।। सावित्री ने कां प्रणीला।।
आणखी वर वरी बाळे।। मनी निश्चय जो केला।।
आरती वडराजा।।1।।

दयावंत यमदूजा। सत्यवंत ही सावित्री।
भावे करीन मी पूजा। आरती वडराजा ।।धृ।।
ज्येष्ठमास त्रयोदशी। करिती पूजन वडाशी ।।
त्रिरात व्रत करूनीया। जिंकी तू सत्यवंताशी।
आरती वडराजा ।।2।।

स्वर्गावारी जाऊनिया। अग्निखांब कचळीला।।
धर्मराजा उचकला। हत्या घालिल जीवाला।
येश्र गे पतिव्रते। पती नेई गे आपुला।।
आरती वडराजा ।।3।।

जाऊनिया यमापाशी। मागतसे आपुला पती। चारी वर देऊनिया।
दयावंता द्यावा पती।
आरती वडराजा ।।4।।

पतिव्रते तुझी कीर्ती। ऐकुनि ज्या नारी।।
तुझे व्रत आचरती। तुझी भुवने पावती।।
आरती वडराजा ।।5।।

पतिव्रते तुझी स्तुती। त्रिभुवनी ज्या करिती।। स्वर्गी पुष्पवृष्टी करूनिया।
आणिलासी आपुला पती।। अभय देऊनिया। पतिव्रते तारी त्यासी।।